चन्द्र ग्रहण कब लगेगा ? चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिला को क्या नहीं करना चाहिए ? chandra grahan kab lagega 2023

चन्द्र ग्रहण कब लगेगा ? चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिला को क्या नहीं करना चाहिए ? chandra grahan kab lagega 2023

आश्विन मास में 15 दिन के भीतर दो ग्रहण, एक सूर्य ग्रहण और एक चन्द्रग्रहण किस प्रकार का संकेत लेकर आ रहे हैं, कब लग रहे हैं, कहाँ लग रहे हैं और सावधानियां किस प्रकार की रखनी है? सूतक काल कब से लेकर कब तक मान्य रहेगा, कहाँ कहाँ सूतक का ध्यान रखना आवश्यक है कि से ध्यान रखना आवश्यक है। विशेषकर गर्भवती महिलाएं।

चन्द्र ग्रहण कब लगेगा ? चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिला को क्या नहीं करना चाहिए ?
चन्द्र ग्रहण कब लगेगा ? चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिला को क्या नहीं करना चाहिए ?

 

चन्द्र ग्रहण कब लगेगा ?

साल का दूसरा चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा को  29 अक्टूबर 2023 में लगेगा। इस अक्टूबर महीने में तो ये इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। ये चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। 29 अक्टूबर को लगने वाला चंद्रग्रहण देर रात 1:06 पर शुरू हो जाएगा और देर रात 2:22 पर समाप्त होगा।

ऐसे में इस ग्रहण की कुल अवधि एक घंटा 16 मिनट तक रहेंगी। यानी ये भारत में दिखेगा और इसका प्रभाव भारत में 1:16 तक रहेगा। चन्द्र ग्रहण कब लगेगा चंद्रग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है यानी अगर 1:00 बजे चंद्रग्रहण लग रहा है तो आप ये मान के चलिए की 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाएगा।

ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना होगा। पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का सूतक काल 28 अक्टूबर को दोपहर 2:52 से ग्रहण के खत्म होने तक यानी देर रात 2:22 पर समाप्त होगा। भारत के अलावा ये साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है और यह ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, हिंद महासागर, दक्षिणी पूर्वी अमेरिका, संपूर्ण एशिया यानी चाइना, पाकिस्तान हर जगह पर दिखेगा।

चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन धर्म के अनुसार राहुल जब चंद्रमा को ग्रसता है तो चंद्र ग्रहण लगता है। इस साल का चंद्रग्रहण बहुत खास है क्योंकि शरद पूर्णिमा की रात अमृत बरसता है, (चन्द्र ग्रहण कब लगेगा ) लेकिन ग्रहण के कारण इस बार लोगों को अमृत की प्राप्ति नहीं होगी। सच में ये ग्राहक बहुत ही ज्यादा खतरनाक होने वाला है।

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण कैसे लगता है ?

आश्विन मास में 15 दिन के भीतर दो ग्रहण, एक सूर्य ग्रहण और एक चन्द्रग्रहण किस प्रकार का संकेत लेकर आ रहे हैं, कब लग रहे हैं, कहाँ लग रहे हैं और सावधानियां किस प्रकार की रखनी है? सूतक काल कब से लेकर कब तक मान्य रहेगा, कहाँ कहाँ सूतक का ध्यान रखना आवश्यक है कि से ध्यान रखना आवश्यक है।

विशेषकर गर्भवती महिलाएं। ग्रहण काल के समय में क्या करें क्या ना करे, देखिये सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है। ऐसे में अमावस्या थी 14 अक्टूबर 2023 को यानी कि शनिवार के दिन सूर्य ग्रहण था । और इसी महीने में चंद्रग्रहण भी है। जो की पूर्णिमा को लगेगा ये ग्रहण कन्या राशि में लगेगा और चित्रा नक्षत्र में लगेगा। इसे कंकणाकृति सूर्यग्रहण कहा जाता है।

या फिर वलयाकार सूर्यग्रहण और रिंग ऑफ फायर कहते हैं देखिये जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के एकदम बीचो बीच आ जाता है। और जब ऐसी स्थिति होती है तो सूर्य के चारों तरफ एक रिंग की तरह जैसे कि एक अंगूठी की आकृति बन जाती है और इसे ही वलयाकार सूर्यग्रहण कहा जाता है। रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है क्योंकि वो आग की अंगूठी की तरह दिखाई देता है।

सूर्य की किरणें जो है वो चन्द्रमा के किनारे से थोड़ी सी दिखाई देती है जो कि अग्नि का स्वरूप दिखती है और अंगूठी की तरह वो दिखाई देता है। इसलिए इसे कंकण आकार या फिर वलयाकार या फिर रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।

अब ये तो एक साइंस की भाषा हो गई। हम सबने इसे पढ़ा है। लेकिन इस सबके अलावा सनातन धर्म में ग्रहण को एक बहुत ही अलग समय माना गया है। माना जाता है कि इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। (चन्द्र ग्रहण कब लगेगा) पूजा पाठ भी वर्जित माना गया है। इस समय में खाना पीना, सोना ये सभी चीजें भी वर्जित मानी गई है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान पर कोई संकट आ गया है तो इस समय में हमें अपने भगवान का, अपने ईश्वर का ईष्ट देवता का ध्यान करना चाहिए।

सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। कोई भी धार्मिक पूजा पाठ नहीं करना चाहिए। मतलब अगर आप धूप दीप अर्पित करना चाहते हैं और भगवान की पूजा करना चाहते हैं मूर्तियों को स्पर्श करना चाहते हैं तो ग्रहण काल में नहीं करना चाहिए।

इसलिए घर में भी जो मंदिर होते हैं वहाँ भी हम मंदिर में पर्दे लगा देते हैं और घर के बाहर भी जो मंदिर होते हैं, चाहे वो बड़े मंदिर हो या फिर छोटे मंदिर हो, मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं ताकि अंदर कोई प्रवेश करके और मूर्ति पूजा ना करें। ऐसा माना जाता है कि इस समय में मूर्ति पूजा करने से अशुभ फल प्राप्त होता है और ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है तो सूतक काल प्रारंभ हो जाने के बाद ही पूजा पाठ सब कुछ बंद कर दिया जाता है।

जो खाने की सामग्री होती है, सब में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं और जब सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाता है फिर स्नान करते है, घर का शुद्धिकरण करते हैं, उसके बाद ही मंदिर में पूजा होती है। घर में फिर भोजन पकता है।

मतलब इस प्रकार का नियम शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में बताया गया है, जिसका हमें पालन करना भी चाहिए। क्योंकि देखिये साइंस की भी मानें तब भी एक वातावरण में नेगेटिव एनर्जी का प्रभाव रहता है। नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है। जब भी सूर्यग्रहण या फिर चंद्रग्रहण लगता है 

सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिला को क्या नहीं करना चाहिए ?

गर्भवती महिलाएं होती हैं, उनके लिए ग्रहण काल का समय ज्यादा सावधानी का होता है। ग्रहण काल के समय में गर्भवती महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती हैं। कोशिश करना चाहिए की हम घर के अंदर रहे। सूर्य ग्रहण की किरणें हम पर या फिर हमारे बच्चे पर न पड़े। पूरे समय मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। किसी भी स्त्री को सोना नहीं चाहिए। कुछ भी काटना नहीं चाहिए।

जैसे कि सब्जी, फल इत्यादि या फिर सिलाई, कटाई, बुनाई। ये सभी चीजें भी नहीं करनी चाहिए। मतलब गर्भवती महिलाओं के लिए ये समय विशेष रूप से सावधानी वाला होता है। कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे कि बच्चे को नुकसान हो। आंख बंद करके सोना नहीं चाहिए। ग्रहण को देखने का प्रयास नहीं करना चाहिए। पूरी तरह से सावधानी के साथ जागते हुए भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिए। चन्द्र ग्रहण कब लगेगा 

चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिला को क्या नहीं करना चाहिए ?

गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना होगा। उनको किसी प्रकार की नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना है। कैंची का इस्तेमाल नहीं करना है। यह 9 घंटे पहले लग जाएगा तो सूतक काल में सोना नहीं है और कुछ खाना नहीं है। हो सके तो आप रामायण का पाठ कर सकती है और बाकी जो लोग बच्चे बूढ़े हैं, जो बीमार हैं उनके ऊपर ग्रहण का प्रभाव नहीं होता, ऐसा ज्योतिषचार्य कहते हैं। इस वजह से इन लोगों

को कोई सावधानी बरतने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन खासकर जो गर्भवती महिला है उन्हें तो सावधान रहना होगा। ये चंद्र ग्रहण में सूतक काल के दौरान मिलते है।

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