Devuthni ekadashi pooja per dev kaise uthaye
आज हम जानेगे की देवउठनी एकादशी के दिन हम देव कैसे बनाते है, क्या क्या सामग्री रखते हैं, देव कैसे उठाते हैं और बाद में सामग्री का क्या करते हैं? यानी देवउठनी एकादशी की संपूर्ण जानकारी आज आपको मिलेगी तो देखिये आप चाहे तो फर्श पर भी आप देव बना सकते हैं
क्योंकि फर्श पर जब देव बनाते है ना तो फिर बाद में हमें उसे साफ करने में कोई दिक्कत नहीं होती है तो ज्यादातर लोग आजकल फर्श पर ही बना लेते हैं तो घर में जहाँ पर भी आप देव बना रहे हैं, पहले वो जगह को आप अच्छे से साफ कर लीजिएगा, उसके बाद हम गेरू ले लेंगे गेरू को हम पीस के पेस्ट बना लेंगे और फिर देखिए इस तरह से इर बर्ड से या किसी भी लकड़ी के टुकड़े में कॉटन लगाकर हम देव बनाएंगे।
तो सबसे पहले तो हमें देव का इस तरह से घर बना लेना है। चारों तरफ हमें लाइन बनानी है, दरवाजा छोड़ना है बीच में और ये जो लाइन है हम लगाएंगे ना इसको डबल कर लेंगे। डोर डोर करके अगर आप लाइनें लगाएंगे तो थोड़ी आसानी से लाइन लग जाती है। तो देखिये इस तरह से हम देवों का घर बना लेंगे
और आप अपने घर के आंगन में देव बना सकते है। बालकनी है तो बालकनी में छत पर पूजा घर के सामने देव बना सकते हैं या कुछ लोग रसोई घर में भी देव बना लेते है तो अगर आपके घर में नॉनवेज नहीं बनता है, शुद्ध सात्विक भोजन बनता है तो आप रसोई में भी देव बना सकते हैं।
Devuthni ekadashi pooja 2023
तो जहाँ पर भी सुविधा हो वहाँ पर आप घर में देव बना लिजियेगा तो देखिये इस तरह से देवों का घर हम बना लेंगे। पहले तो ये घर हमने बना लिया है। इसके बाद इसको डेकोरेट करना है तो मैंने यहाँ पर जिगजैग पैटर्न बना के ये घर है इसको डेकोरेट कर रही हूँ। आपको जो भी डिजाइन आता हो उसके हिसाब से आप डेकोरेट कर सकते हैं। आप चाहे तो डेकोरेशन के लिए आप खड़िया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जो व्हाइट कलर की मिट्टी आती है ना उसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं या रंगोली के रंगों का इस्तेमाल भी आप कर सकते हैं। तो इस तरह से देखिये हमने देव का घर बना लिया है। अब हम इसके हाथ बना देंगे।
और जब भी आप देव बनाए तो आप कोशिश करे की जो पूजा करने वाले हैं उनका मुख या तो पूरब दिशा की तरफ हो या उत्तर दिशा की तरफ हो, ये दिशा शुभ मानी जाती है तो इस दिशा की तरफ मुँह करके आप पूजा करें। देव उठाएं इस तरह से आप इस तरह से देव आप बना लीजिएगा
तो यहाँ पर देखे देव का घर तो हमने बना लिया है अब हम इसमें देव बनाएंगे तो इसके अंदर क्या क्या चीजे बनायीं जाती है वो मैं आपको बताने वाली हूँ। चारों कोनों पे अच्छे से हम इस तरह से थोड़ा सा डेकोरेशन कर देंगे तो यहाँ पर देखिये बस तीन तीन लाइन हैं चारों कोनों पर मैं लगा दूंगी।
इसके बाद अंदर की तरफ हम सबसे पहले तो स्वस्तिक बना लेंगे। स्वस्तिक जो होता है, बहुत ही शुभ चिन्ह होता है तो सबसे पहले तो मैं चारों कोनों में स्वस्तिक बना लूंगी।
उसके बाद फिर हमें देव बनाने हैं यानी श्री हरि विष्णु। भगवान हमें बनाने हैं तो यहाँ पर हम आकृति मात्र बना लेंगे की ये बस ये हमे दिखे की ये श्रीहरि विष्णु भगवान है। जैसे भी आकृति है आप से बन जाए। वैसे हम बना लेंगे और क्षेत्र के अनुसार देव बनाने का जो ये आकृति है इसमें थोड़ा सा बदलाव हो सकता है लेकिन मूल रूप से जो पूजा है वो एक जैसी ही रहती है।
अब हमने तुलसीजी बना दी है, साथ में हम वैकुंठ के लिए सीडी बना देंगे। तो जो शुभ चिन्ह होते है ना वो सभी हम बनाते हैं। उसके बाद हमें पैर बनाने होते हैं। तो देखिए इस तरह से क्रोस बना के ऊपर की तरफ उंगलिया बनाते हुए पैर बना देंगे
तो घर में जीतने भी सदस्य हैं। सभी के पैरों के निशान हम यहाँ पर बनाते हैं और एक जोड़ा पैर एक्स्ट्रा हम बनाते हैं। छोटे छोटे आने वाली पीढ़ी के लिए तो जीतने आपके घर में सदस्य हैं, उतने पैरों के निशान बना दे और एक जोड़ा पैर आप एक्स्ट्रा बना दे आने वाली पीढ़ी के लिए।
इसके बाद गाय के खुर बनाए जाते हैं तो गाय के और बछड़े के खुर हम बना देंगे। ये गाय के खुर बना दिए हैं। इसके बाद छोटे छोटे से हमे बछड़े के खुर बना देने है और भगवान विष्णु तो हमने बना ही दिए हैं
तो लक्ष्मी माता का कमल अति प्रिय है। इसलिए लक्ष्मी माता का हम कमल बना देंगे तो जो भी शुभ चिन्ह होते है ना वो सभी चीन हम देव मे बनाते हैं देव के घर में और आप और भी चीज़े बनाना चाहें ओम बनाना चाहें या शंख आप बनाना चाहें तो जो भी शुभ चीन है वो सब यहा बना सकते हैं।
ये जो जरूरी जरूरी चीजें थी वो मैंने बना दी है। तो देखिये अभी हम कमल भी बना देंगे और इस तरह से देवों का घर बन जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन दिन में किसी भी समय जब भी आपको समय हो हम देव वैसे मान लेते हैं और फिर शाम को सूर्यास्त जब होता है ना तब हम देव उठाते हैंतो दिन में तो इस तरह से हम देव मान लेंगे और देव का ना रास्ता भी जरूर बनाया जाता है। घर का तो रास्ते के लिए इस तरह से आप दो लाइनें लगा दीजियेगा। इस तरह से हम रास्ता देते हैं घर को तो इस तरह से हम देवी बना लेंगे
तो देव हमारे बन गए हैं। इसके बाद घर में जीतने भी दरवाजे हैं। बाथरूम को छोड़कर बाकी जीतने भी वहाँ पर हमें पांच पांच इस तरह से डोंट लगा देनी है। पांच पांच बिंदु हमें लगा देने हैं। कुछ लोग पांच पांच लाइनें लगाते हैं लेकिन हमारे यहाँ पर पांच पांच इस तरह से डोट लगाई जाती है तो सभी दरवाजों पर हमें लगानी है।
अभी दिन में हमने जब ये आप बनाओगे देव थोड़ा सा जब ये सूख जाएंगे तब इसके ऊपर हमे कुछ सामान रखना है तो क्या क्या सामान रखना है वो मैं आपको बता देती हूँ तो देखिये सबसे पहले तो हमें अनाज रखना होता है इस मौसम में जो भी इस ऋतु की चीज़े होती है ना वो सभी रखी जाती है तो गेहूं या बाजरा आप रख लीजिएगा। उसके बाद सिंघाड़े इस समय का ऋतुफल होता है। सिंघाड़े हम जरूर रखते हैं मूंगफली हम जरूर रखते हैं क्योंकि वो भी इस समय का ऋतुफल होता है। उसके अलावा जो भी फल आपको अवेलेबल हो घर में वो आप रख सकते हैं।
कॉटन यानी की रुई हमें जरूर रखनी होती है क्योंकि कपास की खेती जो होती है इन्हीं दिनों में पक के तैयार होती है तो रुई हम जरूर रखते हैं और हमारे यहाँ पर चूरमा बनाया जाता है तो चूरमाँ कब होगा हम जरूर रखते हैं। आपके यहाँ पर जो भी भोग बनाया जाता हो वो आप रख लीजिएगा।हरी मूली पत्तों के साथ हम जरूर रखते हैं तो मूली हम रखेंगे और पत्तों के साथ ही रखेंगे। इसके साथ ही गन्ना हम रखते हैं। तो ये चीजें हैं जो हम देवउठनी एकादशी पर रखते हैं। एकाध चीज़ कम हो, कोई बात नहीं, जितनी आप से बन पड़े उतनी आप रख दीजिएगा
अब में दान दक्षिणा रख लेंगे और देसी घी का दिया हमें रखना है। दिए को आप साइड में ही रखिएगा क्योंकि दिया जलाना है तो इस तरह से रखिएगा कि प्रांत को ज्यादा उठाना पड़े। जलाने के लिए तो दिए को हम साइड में ही रख देंगे तो इस तरह से हम दिन में ही सारा सामान रख देंगे उसके ऊपर हमे प्रांत रख देनी है तो प्रान्त किचन का सबसे शुद्ध बर्तन होता है क्योंकि ये कभी भी झूठा नहीं होता इसलिए रात को पूजा में यूज़ करते हैं। तो प्रान्त हम रख देंगे, प्रांत के ऊपर हम स्वस्तिक बना देंगे
तो देखिये देवउठनी एकादशी के दिन दिन में ही हमें ये काम करना है। दिन में ही इस तरह से देव हम पर आज से ढक देंगे। शाम को जब सूर्यास्त होगा तो एक लौटा जल लेकर हम पूरे परिवार के साथ सभी बच्चे, बच्चे सब मिलकर के देव उठाएंगे।
शाम को सूर्यास्त के बाद तो जब सूर्यास्त हो जायेगा, उसके बाद हम दिया जलाएंगे। दिए को हमें साइड में ही रखना है, ज्यादा अंदर नहीं रखना है। कोशिश करें कि प्रांत को ज्यादा उठाये ना और फिर दिए को हम जला लेंगे | देव प्रबोधिनी एकादशी