Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

आप सभी को करवाचौथ व्रत की बहुत बहुत शुभकामनाएं आज मैं आपको करवाचौथ व्रत की संपूर्ण पूजा विधि बताऊंगी इस वर्ष यानी 2023 में 1 नवंबर दिन बुधवार को करवाचौथ का पावन पवित्र व्रत किया जायेगा तो महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करेंगी। व्रत की पूजा हमें कैसे करनी है

Karwa chauth vrat vidhi | Karwa chauth samagri

करवाचौथ के दिन पहले हम नहा धो के पूरे 16 श्रृंगार कर लेते हैं और हाथों में मेहंदी लगा लीजियेगा, नई – नई चूड़ियां पहन लीजिएगा। अपने शादी का जोड़ा पहन सकते हैं या दादी की चुनरी या पीलिया हम मोड़ लेंगे उसके बाद हमें चौकी लगा लेंगे। चौकी पर हमें लाल रंग का वस्त्र बिछाना है। अब हम चौकी पर करवाचौथ माता को विराजमान करेंगे तो करवाचौथ माता का फोटो या कैलन्डर जो भी आपके पास है उनको आप विराजमान करें। उसके बाद हम करवाचौथ माता को लाल चुनरी उड़ा देंगे तो नवरात्रि में जो चुनरी हम लाते हैं उसको भी आप  उठा सकते हैं।

Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

करवा चौथ पूजन विधि: और इस फोटो के अंदर गणेश जी हैं। आप चाहे तो गणेशजी का पूजन वहीं पर कर सकते हैं या आप अलग से भी गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं। संपूर्ण विधि के लिए यहाँ पर कलश स्थापना करूँगी। बहुत से लोग करवाचौथ के व्रत में कलश की स्थापना करते हैं और बहुत से लोग करवाचौथ में कलश की स्थापना नहीं करते हैं। तो अगर आपके यहाँ पर कलश स्थापना की जाती है तो आप जरूर कीजियेगा और नहीं की जाती है तो नहीं भी कर सकते है । तो देखिये पहले चावल से मैंने अष्टदल कमल बना लिया है, उसके बाद हम एक तांबे या पीतल का कलश लेंगे। कलश पर हमें स्वस्तिक बनाना है। कलश के कंठ पर मोली बांधनी है। कलश को जल से भर लेंगे। हल्दी, सुपारी, सिक्का, फूल, चावल हम कलश के अंदर डालेंगे। और हम इसमें आम के पत्ते सजा लेंगे। आम के पत्ते अगर आपके पास नहीं है तो आप अशोका के पत्ते सजा सकते हैं। कलश के ऊपर हम एक चावल से भरी हुई प्लेट रखेंगे यानी की ढक्कन रखेंगे और हमारा कलश तैयार हो गया है। इसको हम अस्त्दल कमल पे रखते है और अस्त्दल कमल ना बने ना तो आप सिर्फ चावल रख सकते हैं। Karwa chauth samagri

करवा चौथ पूजन विधि

Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

Karwa chauth samagri: और आपका जो करवा है। इन दोनों को ही आप आपस में फेर सकते हैं। अगर आप अकेले हैं तो भी कोई बात नहीं। आप पार्वती माता के साथ करवा फेर लीजियेगा। अब हम गणेशजी की स्थापना करेंगे तो थोड़े से गेहूं या चावल रखकर हम गणेश जी को स्थापित कर देंगे। इसके बाद हम पूजा शुरू करेंगे तो पूजा में सबसे पहले हम गेहूं जरूर चढ़ाएंगे तो देखिये आप चाहे तो आप करवा चौथ माता के नीचे गेहूं बिखेर सकते हैं या आप किसी कटोरी वगैरह में भी रख सकते हैं। फिर हम सभी का शुद्धिकरण करेंगे यानी सभी को स्नान करा देंगे। जल के छींटे लगाकर । उसके बाद हम दीपक जलाएंगे तो यहाँ पर जो कलश के ऊपर हमने दीपक रखा था ना वो दीपक हमने जला दिया है। (Karwa chauth samagri)

Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

करवा चौथ पूजन विधि: गणेश जी को वस्त्र स्वरूप के कलावा समर्पित कर देंगे। अगर आपके पास जनेऊ है तो जनयु समर्पित कर दीजिए। जनेऊ नहीं है तो सिर्फ कलावा समर्पित कर सकते हैं। जो हमने करवे लिए हैं उनके कंठ पर हमने पहले ही कलावा बांध दिया था और करवाचौथ माता को भी हमने चुनरी उड़ा दिया है। अगर आपने चुनरी ना उठाई होना तो आपका कलावा समर्पित कर दीजिये। उसके बाद सभी को हम रोली से तिलक करेंगे तो गणेश जी को करवाचौथ माता को फोटो में विराजमान सभी देवी देवताओं को और जो करवे हमने लिए हैं, कलश लिया है सभी को हम रोली से तिलक करेंगे। फिर अक्षत समर्पित करेंगे। इसके बाद आप अपने आप को भी तिलक जरूर कर लीजियेगा। फिर अगर आपके पास फूल है तो फूल समर्पित कर दें और उसके बाद हम करवाचौथ माता को 16 श्रृंगार समर्पित करेंगे तो करवाचौथ माता को 16 श्रृंगार जरूर समर्पित करें, क्योंकि सुहाग के लिए ही यह व्रत किया जाता है तो सुहाग सामग्री हम जरूर जरूर समर्पित करते हैं तो यहाँ पर 16 श्रृंगार हमने समर्पित कर दिए है। माता को एक बार स्पर्श करके फिर चौकी पर ये सिंगर हम रख देंगे।

Karwa chauth samagri: अब हम भोग समर्पित करेंगे तो भोग में जो भी पकवान आपने बनाया है आप वो समर्पित कर सकते हैं या बाजार से मिठाई भी आप मंगवा सकते हैं। जो भी मिठाई आप मंगवाएंगे जो पकवान बनाएंगे करवे पर भी रखना है क्योंकि चंद्रमा को इसी से हम भोग लगाएंगे फिर हम ऋतुफल समर्पित करेंगे, तो सिंघाड़ा हो सके तो जरूर समर्पित करना। उसके अलावा जो भी ऋतुफल आपको मिल जाये, वो आप करवाचौथ माता को समर्पित कर सकते हैं| और फिर हमें एक लोटा जल समर्पित कर देंगे। इसी जल से हमें कथा सुननी है। यथासंभव हम दक्षिणा समर्पित करेंगे बयाने के लिए हमें एक साड़ी समर्पित करनी है। साड़ी, सूट कुछ भी आप ले सकते है। यानी हमें माता के कपड़े लेने होते हैं। इसको हम बयाने के रूप में दे देते हैं। तो देखिए मैंने यहाँ पर एक साड़ी ले ली है। अब इसके ऊपर हमे कुछ शृंगार का सामान रखना होता है। आप चाहे तो आप अलग  से सिंगर का सामान ले सकते है। यानी आप चाहे तो आप दो जगह सिंगर का सामान ले सकते हैं और आप चाहे तो जो आपने करवा चौथ माता को 16 सिंगार चढ़ाया है, उसी में से कुछ चीजें आप बयाने के रूप में इस साड़ी या सूट के ऊपर भी रख सकते है। यानी कुछ चीजें आप दान कर दीजिएगा और कुछ सिंगर का सामान माता के आशीर्वाद के रूप में आप स्वयं यूज़ कर लीजियेगा उसके बाद ये जो लोटा जल का है इसको रख के हमें कथा सुननी है। करवाचौथ के व्रत में कथा सुनना अनिवार्य होता है। आप चाहें तो यही पर चौकी के पास बैठकर आप कथा सुन सकते हैं। क्या आप चाहे तो अपनी सखी सहेलियों के साथ भी कथा सुन सकते हैं? कथा सुनने के लिए हमने गेहूं के दाने हाथ में ले लिए हैं। अब हम करवाचौथ व्रत कथा सुनेंगे। 

Karwa chauth samagri | Karwa chauth vrat katha | करवा चौथ पूजन विधि

Karwa chauth vrat katha

Karwa chauth vrat katha: बहुत समय पहले की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करती थे । यहाँ तक वे उसे इतना प्यार करते है की सबसे पहले उसे प्यार से खाना खिलते थे | फिर कुछ दिन बाद उनकी बहेन ससुराल से मायके में आयी | शाम को सभी भाई अपना काम और व्यवसाय बंद करके घर को आये तो देखा कि उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठें और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे। लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवाचौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चन्द्रमा को देखकर उसे अर्धूय देकर ही खा सकती हैं। क्योंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख प्यास से व्याकुल हो उठी है। सबसे छोटे भाई से अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलने की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो। इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्धूय देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़ कर चाँद को देखती है, उसे अर्धूय देकर खाना खाने बैठ जाती है। वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उस खाने में से बाल निकल आता है और जब तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने वाली ही होती है तभी उसके पति की मृत्यु की खबर उसे मिलती है। वह बोखला जाती है उसकी भाभी उसे सच्चाई से बताती है कि उसके साथ ऐसा किस कारण हुआ करवाचौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हुए हैं और नाराज होने के कारण उन्होंने ऐसा किया है। सच्चाई जानने के बाद करवा कसम खाती है| (Karwa chauth vrat katha) कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर ही रहेंगी। वह पूरे 1 साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है, उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली घास को वह एकत्रित करती जाती। 1 साल बाद फिर करवाचौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवाचौथ का व्रत रखती है। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती है तो वह प्रत्येक भाभी से ‘ यम सूई ले लो, प्रिय सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो ऐसा आग्रह करती है। लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कहकर चली जाती है। इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती। यह भाभी उसे बताती है कि चुकी सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था। अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है। इसलिए जब वह आये तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा ना करती उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कहकर वह चली जाती है। सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती, लेकिन वह टालमटोली करने लगती हैं। इसे देख करवा उन्हें ज़ोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उसे छुड़ाने के लिए नोचती है, घसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती हैं। अंत में उसकी तपस्या को देखकर भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी उंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत भगवान् का नाम लेते हुए उठकर बैठ जाता है | तो इस प्रकार करवाचौथ भगवान् की क्रपा से और उसकी छोटी भाभी की दया से करवा को उसका पति और सुहाग मिल जाता है |

karwa chauth 2023 chand kab niklega
  • करवा चौथ व्रत : सुबह 6:36 से रात 8:26 बजे तक है.
  • करवा चौथ पूजा : शाम 5:36 मिनट से शाम 6:54 मिनट तक है.
  • करवा चौथ चंद्रोदय का समय: रात 8:05 बजे, 1 नवंबर 2023 (लखनऊ)

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